Good World

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Saturday, December 3, 2011

कर्म के साथ भावना को भी जोडें

दिनभर लोहा पीटने वाले लुहार की अपेक्षा अखाड़े में दो घण्टे कसरत करने वाला पहलवान अधिक परिपुष्ट पाया जाता है । इसका कारण व्यायाम के साथ जुड़ी हुई उत्साहवर्द्धक भावना है । कसरत करते समय यह मान्यता रहती है कि हम स्वास्थ्य साधना कर रहे हैं और इस आस्था का मनोवैज्ञानिक असर ऐसा चमत्कारी होता है कि देह ही परिपुष्ट नहीं होती, मन की हिम्मत तथा सशक्तता भी बहुत बढ़ जाती है ।
-पं. श्रीराम शर्मा आचार्य

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