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Friday, August 2, 2013

चरित्र की एक विशेष देन : अभय

अभय, चरित्र की विशेष देन है। चरित्रवान व्यक्ति संसार में किसी से भयभीत नहीं होता। उसे अपने तथा अपने आचरण पर अखंड विश्वास रहता है। उसे मालूम रहता है कि उसने कोई भी अनुचित काम नहीं किया और यह भी जानता है कि वह कोई गलत करेगा भी नहीं। मन-वचन-कर्म से औचित्य का पालन करने वाले के पास भय नामक दुर्बलता आ ही नहीं सकती।

अपनी पोल का बहुत अधिक विरोध करते देखकर पोप ने प्रसिद्ध धर्म प्रचारक महात्मा मार्टिन लूथर के पास संदेश भेजा कि वह पोप के विरुद्ध प्रचार करना बंद कर दे, नहीं तो उसका सिर कटवा लिया जाएगा। सत्याचरण के विश्वासी मार्टिन लूथर ने कहला भेजा कि 'मुझे खेद है कि मेरे पास एक ही सिर है, यदि हजार सिर होते और वे सब इस धर्म सुधार की पुण्य वेदी पर बलिदान हो जाते तो मैं अपने को अधिक धन्य समझता।’
महात्मा लूथर की यह निर्भीकता उनके उच्च चरित्र तथा सत्याचरण का ही प्रसाद था। कोई भी चरित्रहीन व्यक्ति, एक तो धर्म सुधार के ऐसे मार्ग पर चलने का साहस ही नहीं करता और यदि वह किसी कारणवश चल भी देता तो पोप की यह धमकी सुनकर उसके पैर डगमगा जाते और वह मैदान से भागकर किसी कोने में छिपा रहता अथवा पोप के ही पैरों पर जा गिरता। किंतु धन्य है सच्चरित्रता को जिसने एक सामान्य जैसे व्यक्ति लूथर को महात्मा बनाकर इतना साहसी, निर्भीक एवं आत्म-विश्वासी बना दिया कि वह पोप जैसे शक्तिशाली व्यक्ति की चुनौती हँसते-हँसते स्वीकार कर सका।



-पं. श्रीराम शर्मा आचार्य

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