सद्गुणों के आधार पर ही ठोस, चिरस्थायी, उच्चकोटि की सफलताएँ मिलती हैं। श्रमशीलता, साहस, धैर्य, लगन, संयम और अध्यवसाय के आधार पर ही इस संसार में विविधविधि उपलब्धियाँ प्राप्त होती हैं और प्रगति का पथ प्रशस्त होता है। सच्चरित्रता और प्राथमिकता के आधार पर ही विश्वास प्राप्त किया जाता है और विश्वासी को ही समाज में अपनाया जाता है, उसे ही महत्त्वपूर्ण काम सौंपे जाते हैं और सहयोग दिये जाते हैं और उसकी कमी होने पर उसे कहीं भी सच्चा सहयोग नहीं मिलता। फलस्वरूप महत्त्वपूर्ण प्रगति से आजीवन वंचित ही रहना पड़ता है।
-पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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