बहुत से माँ-बाप तो बच्चों को पैदा करने, खिलाने-पिलाने, स्कूल आदि में पढ़ने की व्यवस्था तक ही अपने उत्तरदायित्व की इतिश्री समझते हैं किंतु इससे बच्चों के निर्माण की संपूर्ण समस्या का हल नहीं होता, हालांकि बच्चों के विकास में इनका भी अपना स्थान है। बच्चों में अच्छी आदतें डालना, उनमें सद्गुणों की वृद्धि करके सुयोग्य बनाना एक महत्वपूर्ण बात है। यह असुरता से देवत्व उत्पन्न करने, पशुत्व को मनुष्यता में बदलने की प्रक्रिया है, एक सूक्ष्म विज्ञान है। बच्चों को प्यार करना, खिलाना, पिलाना, उसका संरक्षण करना तो पशुओं में भी पाया जाता है।
- माता भगवती देवी शर्मा
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